Rajasthan ka parichya

दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से आपको राजस्थान सामान्य ज्ञान का महत्वपूर्ण टॉपिक राजस्थान का सामान्य परिचय  के बारे में बताने वाला हूँ | इस पोस्ट में राजस्थान एक परिचय टॉपिक को बहुत अच्छे से समझाया है | ये टॉपिक राजस्थान की सभी परीक्षाओं जैसे BSTC (Pre D.El.Ed.), PTET, REET, Patwar, Police, Sub-inspector आदि के लिए समान रुप से उपयोगी है |

राजस्थान का सामान्य परिचय नोट्स :किसी भी चीज के बारे में ध्यान करने से पहले हम उस इतिहास

के बारे में जानते हैं।

इतिहास सामान्यतया दो शब्दों – ‘इति’ (पहले) + हास (घटित होना) के मेल से बनता है अर्थात अभी से पहले जो कोई भी घटना घटी वही हमारा वर्तमान में इतिहास कहलाता है।

विश्व के इतिहास का जनक हेरोडोटस कहलाता है, जो कि यूनान का निवासी था। यह भारत में 5वी शताब्दी में घूमने आया और पुस्तक लिखी थी जिसका नाम ‘हीस्टोरिका’ था।

हम भूगोल की दृष्टि से देखें तो हमारी पृथ्वी का प्रारंभिक आकार गोलाकार था, भू-भाग अंगारलेंड व गोंडवानालैंड थे।

जिसे सामूहिक रूप से पेंसिया कहा जाता था बाकी अवशेष जल के थे, जिसे टेथिस सागर कहते थे, जिसे भौगोलिक शब्दावली में पेंथालासा कहा जाता है।

राजस्थान से संबधित महत्वपूर्ण तथ्य :

  1. क्षेत्रफल की दृष्टि से महाद्वीपों का अवरोही क्रम निम्न प्रकार है – एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, अंटार्कटिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया।
  2. एशिया महादीप में ही हमारा देश भारत देश आता है ।
  3. भारत के इतिहास का जनक वेदव्यास जी थे ।
  4. व्यास जी ने महाभारत की रचना राजस्थान में पुष्कर झील के किनारे की थी।
  5. महाभारत का प्राचीन नाम जयसंहिता था। जिसमें 8800 श्लोक थे। यह श्लोक 8800 से बढ़कर 24000 श्लोक हुए तो इसका नाम भारत रखा गया एवं यह श्लोक 24000 से बढ़कर 100000 हुए तो इसका नाम महाभारत पड़ा।
  6. भारत देश में वर्तमान में कुल 28 राज्य एवं 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं।
  7. इसी भारत देश में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य राजस्थान है जो भारत के उत्तर पश्चिम में स्थित है।

राजस्थान का नामकरण व सामान्य परिचय 

  • ऋग्वेद में राजस्थान में स्थित भू-भाग को ब्रह्मावर्त व रामायण काल में वाल्मीकि ने मुरूकांतारनाम दिया।
  • राजस्थान को मरू/ मरूप्रदेश/ मरुवार /रायथान /राजपूताना/ रजवाड़ा आदि नामों से आज तक जाना जाता है।
  • आयरलैंड के निवासी जॉर्ज थॉमस वह पहला व्यक्ति था जिसने सर्वप्रथम राजपूताना शब्द का प्रयोग किया।
  • ब्रिटिश काल या मध्यकाल में राजस्थान को राजपूताना के नाम से जाना जाता था।
  • राजस्थान शब्द का प्राचीनतम उल्लेख विक्रम संवत 682( 625 ईसवी पूर्व) खीमल माता मंदिर ,बसंतगढ़ सिरोही पर उत्कीर्ण बसंतगढ़ शिलालेख में मिलता है। जहां राजस्थानायादित्य शब्द का प्रयोग किया गया था।
  • राजस्थान का प्रथम ऐतिहासिक ग्रंथ “मुंहनोत नैंणसी री ख्यात” ग्रंथ में पहली बार राजस्थान शब्द का प्रयोग हुआ था।
  • राजस्थान के इतिहास के जनक कर्नल जेम्स टॉड कहलाते हैं।
  • कर्नल जेम्स टॉड पहली बार भारत में दिल्ली में एक सैनिक रंगरूट के रूप में आए, तो राजस्थान में पहली बार 1817 में मेवाड़ /हाडोती /कोटा /बूंदी क्षेत्र में रेजिमेंट के पद पर नियुक्त हुए।
  • कर्नल जेम्स टॉड राजस्थान में सर्वप्रथम मांडलगढ़( भीलवाड़ा) में आकर रुके और वहां के जैनयती ज्ञानचंद को अपना गुरु बनाया।
  • कर्नल जेम्स टॉड को घोड़े वाले बाबा के नाम से भी जानते हैं।
  • कर्नल जेम्स टॉड ने 1829 में द एनाल्स एंड एंटीक्विटीज ऑफ राजस्थान” पुस्तक प्रकाशित की।
  • एनाल्स एंड एंटीक्विटीज ऑफ राजस्थान पुस्तक मूलतः अंग्रेजी में लिखी गई थी, जिसका पहली बार हिंदी अनुवाद गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने किया था।
  • “एनल्स एंड एंटीक्विटीज आफ राजस्थान” इसी पुस्तक का दूसरा नाम “दी सेंट्रल एंड वेस्टर्न राजपूताना स्टेटस ऑफ इंडिया” में इसे राजस्थान ,रजवाड़ा ,रायथान नाम दिया तो राजस्थान शब्द का प्रयोग राजस्थान के एकीकरण के द्वितीय चरण 25 मार्च 1948 को गठित पूर्व राजस्थान संघ में दिया गया।
  • 30 मार्च 1949 को चार बड़ी रियासतों (जयपुर जोधपुर जैसलमेर व बीकानेर) का एकीकरण हुआ व लगभग वर्तमान स्वरूप प्राप्त हुआ था इसलिए प्रतिवर्ष राजस्थान स्थापना दिवस 30 मार्च को मनाया जाता है।
  • 26 जनवरी 1950 को भारत सरकार ने इसे राजस्थान राज्य की मान्यता प्रदान की व राजधानी जयपुर (पी. सत्यनारायण समिति के आधार पर) को बनाया। 
  • सर्वप्रथम राजस्थान को 30 मार्च 1949 को एकीकरण के दौरान बी-श्रेणी के राज्यों का दर्जा दिया गया ।
  • हीरालाल शास्त्री को राज्य का प्रथम मनोनीत मुख्यमंत्री बनाया गया।
  • प्रशासनिक विकेंद्रीकरण के लिए संभागीय व्यवस्था शुरू की गई।
  • सर्वप्रथम 5 संभाग ( जयपुर जोधपुर बीकानेर कोटा उदयपुर) बनाए गए।
  • 1 नवंबर 1956 को अजमेर को 26 वा जिला व छटा संभाग बनाया गया।
  • अप्रैल 1962 को मोहनलाल सुखाड़िया ने संभागीय व्यवस्था को समाप्त कर दिया।
  • हरिदेव जोशी ने 26 जनवरी 1987 में पुन: संभागीय व्यवस्था को शुरू किया।
  • 4 जून 2005 को तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भरतपुर को संभाग बनाने की घोषणा की।
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